बुजुर्ग पिता की वेदना
लघु कथा
।।एक बुजुर्ग पिता की वेदना।।
एक आधुनिक और विकासशील शहर में
दौड़ती हुए गाडियां की शोर से फुटपाथ के किनारे सोए लोगों की नींद में खलल डालती ये शोर मचाती गाडियां,उनमें से एक व्यक्ति बोलता है,
दिन में चैन नहीं मिलता रात में भी नही सोने देते ये अमीर से लोग,
अरे हरिया सो जा क्या बढ़बड़ा रहा है । यार मोहन भूख में नींद भी तो नहीं आती,अभी झपकी लगी थी,इन गाड़ियों का बुरा हो,ये कहते हुए बैठ गया ।।,,मोहन बोला,यार हरिया ऐसा क्यूं होता है, हम लोगों के साथ ईश्वर जाने क्या सोच कर भेजा है । ऐसे जीवन से बेहतर तो मरना ही है ।। अपना ना कोई लक्ष्य ना कोई कोई मंजिल,बस है तो बस लंबा सफर जिसका कोई ना अंत है ।। जो अपने थे उन्होंने भी अब मुंह मोड़ लिया,कभी इस शहर में मेरा नाम भी मशहूर था,परंतु पुत्र के मोह में कुछ समझ में नही आया, क्या सही,,क्या गलत, उसके हर कृत्य को माफ किया,बहुत कोशिश की उसको सही राह में लाने की,,
पर वो सारी बेकार हुई है ।। जिस पुत्र को हमने चलना सिखाया था,,
आज बुढ़ापे में हमे घर से निकाल दिया,,कितनी उम्मीद थी मुझे उससे,,
सोचा था वो मेरे बुढ़ापे का सहारा बनेगा,,पर ये नही मालूम था,
वो जीवन के इस मोड़ पे लाकर छोड़ देगा ।। ये कहते हुए वो फिर मैली से चादर से मुंह ढक के सो जाता है ।।
।।
।।अनूप अंबर।।
Khushbu
13-Nov-2022 06:03 PM
Nice 👍🏼
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Mahendra Bhatt
04-Nov-2022 10:57 AM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Gunjan Kamal
03-Nov-2022 07:56 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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